Aliya khan

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लेखनी कहानी -17-Dec-2021 मेरी डायरी के कुछ पन्ने



डायरी लेखन --- 

18 --12 --- 21 


कभी कभी ज़िन्दगी का हर लम्हा इतना सुहाना लगता है और कभी एक पल में ऐसा लगता है जैसे दुनिया ही बिखर गयीं हो 
कभी ये मन सतरँगी सपने बुनने लगता है तो शीशे से भी  नाज़ुक दिल  अनगिनत टुकड़े टूट जाता है कभी लगता है जैसे सब कुछ साफ साफ दिखाई देता है और कभी ज़िन्दगी पर काले घने बादल छा जाता है ! 

अपनी किस्मत के अँधेरो को चाहे कितनी भी हम कोशिश कर ले अपनी ज़िंदगी से दूर ही नही कर पाते मंज़िले पास होते हुए भी इतनी दूर नजर आती मानो ऐसा लगता है कि हम दोनों के बीच मे एक दलदल सी बनती हुई नजर आती हैं जितना हम उसके पास जाना चाहे हम एक ऐसे जंजाल में फंस जाते है उससे बाहर ही नही निकल पाते एक भूलभुलैया में उलझ जाते है ! 

सावन के मौसम में भी पतझड़ का कहर जीवन पर छा जाता है और इससे बाहर निकलने में कुछ महीने ही नही सालो लग जाते है उम्मीद की एक झलक देखने के लिए लगता है जीवन भी कम पड़ जाता है जिंदगी की डोर हाथों से छूट जाती है ! 

ज़िन्दगी की राहें किसी केलिए इतनी आसान होती है और किसी के लिए इतनी मुश्किल खड़ी हो जाती है उसे अपना अंत समीप नजर आता है ! 

कोई इस जीवनलीला को समाप्त कर देता है तो कोई अंत तक इससे संघर्ष करता है हार हुआ होते हुए भी चट्टान की तरह डाटा रहता है 

आज कुछ ज्यादा ही बाते  हो गयी है उदासिनता की तुमसे चलो कल मिलती हूँ आँखे भी भर आईं हैं कहीं आँसुओ से ही  तुम्हारी किताबी दुनिया में बाढ़ न आ जाये इसलिए अपनी बाणी को ताहि विराम देती हूँ ! 

आलिया खान 

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2 Comments

Inayat

20-Dec-2021 01:00 AM

Gd

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🤫

19-Dec-2021 08:43 PM

Bahut badhiya ma'am,

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